सताया है वक्त ने मुझे बहुत
मगर मैने भी वक्त को बर्बाद कम नहीं किया
जहां वक्त ने तक़दीर से मिलाया
मैंने तकदीर से वक्त को मिटाया है
बचपन में पढ़ाई से हुई लड़ाई वक्त की
वक्त हार गया
जवानी में हर वक्त, वक्त ने वक्त का दरवाजा खट खटाया
में ही अपने जोश में होश में खून के ऊबाल से
वक्त को नाकामयाब कर पाया
आज मेरी जिंदगी में वक्त बहुत कम बचा है
हर वक्त का लम्हा मेरी आंखों में हर वक्त सजा है
के काश की मैने वक्त पे वक्त को थाम लिया होता
तो आज मेरे पास वक्त होता
तो आज मेरे पास वक्त होता

Chandra Prakash

By Real Shayari

Real Shayari Ek Koshish hai Duniya ke tamaan shayar ko ek jagah laane ki.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *