Tag: Shayari of Mirza Ghalib

कोई ग़ज़ल सुना कर क्या करना

कोई ग़ज़ल सुना कर क्या करना,यूँ बात बढ़ा कर क्या करना।तुम मेरे थे, तुम मेरे हो,दुनिया को बता कर क्या करना।तुम साथ निभाओ चाहत से,कोई रस्म निभा कर क्या करना।तुम…