प्यार नहीं था और ना ही दोस्ती थी
दोनो को बस आदत थी
रोज़ सुबह फोन पे बात करना पहले टाईम पास था
लेकिन अब ज़रूरत थी
दिन में कभी बात ना हो तो चलता था
पर अब तो इंतज़ार की घड़ियां खत्म नहीं होती थी
प्यार नहीं था और ना ही दोस्ती थी
दोनो को बस आदत थी
I love you too तो मज़ाक था
कब इज़हार बन गया पता नहीं
दोस्ती कब प्यार बन गई पता नहीं
दोनो के दिलों में प्यार था
पर दिमाग़ है मानता नहीं
प्यार नहीं था और ना ही दोस्ती थी
दोनो को बस आदत थी
तीन साल बीत गए दोस्ती और प्यार की जंग में
लड़ाई कब ब्रेक अप में बदल गई पता नही
दोस्ती ने प्यार को कायम रखा और
प्यार ने दोस्त को पकड़े रखा
कब प्यार जीत गया पता नहीं
ये जय वीरू की जोड़ी
कब राधा कृष्ण बन गई पता नहीं
प्यार नहीं था और ना ही दोस्ती थी
दोनो को बस आदत थी
दोस्ती के वादे अब साथ रहने की कसमें हैं
प्यार के पौधे में दोस्ती की जड़ें हैं
जो कभी आपस में लड़ते थे अब अपने प्यार के लिए लड़ेंगे
डरते थे जो अब इनसे डरेंगे
दोस्ती की नीव पर प्यार का घर है
बिछड़ना इनका शायद ही मुमकिन है
प्यार नहीं था और ना ही दोस्ती थी
दोनो को बस आदत थी |

By Real Shayari

Real Shayari Ek Koshish hai Duniya ke tamaan shayar ko ek jagah laane ki.

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