रूठे हुए अपनों को मना लूंगा एक दिन
दिल का घर फिर से बसा लूंगा एक दिन
लगने लगे जहाँ से हर मंज़र मेरा मुझे
ख़्वाबों का वो जहान बना लूंगा एक दिन
अभी तो शुरुआत हुई है इस सफ़र की
बेरंग ज़िन्दगी में रंग सजा लूंगा एक दिन ।
रूठे हुए अपनों को मना लूंगा एक दिन
दिल का घर फिर से बसा लूंगा एक दिन
लगने लगे जहाँ से हर मंज़र मेरा मुझे
ख़्वाबों का वो जहान बना लूंगा एक दिन
अभी तो शुरुआत हुई है इस सफ़र की
बेरंग ज़िन्दगी में रंग सजा लूंगा एक दिन ।