इश्क़ वालों से न पूंछो कि
उनकी रात का आलम तनहा कैसे गुज़रता है

जुदा हो हमसफ़र जिसका,
वो उसको याद करता है

न हो जिसका कोई वो मिलने की फ़रियाद करता है
सलाम-ए-इश्क़ मेरी जाँ ज़रा क़ुबूल कर लो

तुम हमसे प्यार करने की ज़रा सी भूल कर लो
मेरा दिल बेचैन, मेरा दिल बेचैन है हमसफ़र के लिये

By Real Shayari

Real Shayari Ek Koshish hai Duniya ke tamaan shayar ko ek jagah laane ki.

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