सियाही जैसे गिर जाए दम-ए-तहरीर काग़ज़ पर | मिर्ज़ा ग़ालिब
सियाही जैसे गिर जाए दम-ए-तहरीर काग़ज़ पर | मिर्ज़ा ग़ालिब जुनूँ तोहमत-कश-ए-तस्कीं न हो गर शादमानी की नमक-पाश-ए-ख़राश-ए-दिल है लज़्ज़त ज़िंदगानी की कशाकश-हा-ए-हस्ती से करे क्या सई-ए-आज़ादी हुइ ज़ंजीर-ए-मौज-ए-आब को…
