क्यूँकर उस बुत से रखूँ जान अज़ीज़ | मिर्ज़ा ग़ालिब
क्यूँकर उस बुत से रखूँ जान अज़ीज़ | मिर्ज़ा ग़ालिब क्यूँकर उस बुत से रखूँ जान अज़ीज़ क्या नहीं है मुझे ईमान अज़ीज़ दिल से निकला पे न निकला दिल…
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
क्यूँकर उस बुत से रखूँ जान अज़ीज़ | मिर्ज़ा ग़ालिब क्यूँकर उस बुत से रखूँ जान अज़ीज़ क्या नहीं है मुझे ईमान अज़ीज़ दिल से निकला पे न निकला दिल…