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रौंदी हुई है कौकबा-ए-शहरयार की | मिर्ज़ा ग़ालिब

रौंदी हुई है कौकबा-ए-शहरयार की | मिर्ज़ा ग़ालिब रौंदी हुई है कौकबा-ए-शहरयार की इतराए क्यूँ न ख़ाक सर-ए-रहगुज़ार की जब उस के देखने के लिए आएँ बादशाह लोगों में क्यूँ…