Tag: वसीम बरेलवी – कविता कोश

चला है सिलसिला

चला है सिलसिला कैसा ये रातों को मनाने का तुम्हें हक़ दे दिया किसने दियों के दिल दुखाने का इरादा छोड़िये अपनी हदों से दूर जाने का ज़माना है ज़माने…