चला है सिलसिला
चला है सिलसिला कैसा ये रातों को मनाने का तुम्हें हक़ दे दिया किसने दियों के दिल दुखाने का इरादा छोड़िये अपनी हदों से दूर जाने का ज़माना है ज़माने…
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
चला है सिलसिला कैसा ये रातों को मनाने का तुम्हें हक़ दे दिया किसने दियों के दिल दुखाने का इरादा छोड़िये अपनी हदों से दूर जाने का ज़माना है ज़माने…