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काबे में जा रहा तो न दो ता’ना क्या कहें | मिर्ज़ा ग़ालिब

काबे में जा रहा तो न दो ता’ना क्या कहें | मिर्ज़ा ग़ालिब काबे में जा रहा तो न दो ता’ना क्या कहें भूला हूँ हक़्क़-ए-सोहबत-ए-अहल-ए-कुनिश्त को ताअ’त में ता…