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अब ना मैं हूँ

अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे​,फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे​,ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे​,अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।

ज़िन्दगी के सफ़र में

ज़िन्दगी के सफ़र में आपका सहारा चाहिएआपके चरणों का बस आसरा चाहिएहर मुश्किलों का हँसते हुए सामना करेंगेबस ठाकुर जी आपका एक इशारा चाहिए