संभाले नहीं संभलता है दिल,

संभाले नहीं संभलता है दिल,
मोहब्बत की तपिश से न जला,
इश्क तलबगार है तेरा चला आ,
अब ज़माने का बहाना न बना।

Leave a Comment

%d bloggers like this: