Author: Real Shayari

Real Shayari Ek Koshish hai Duniya ke tamaan shayar ko ek jagah laane ki.

सीमाब-पुश्त गर्मी-ए-आईना दे है हम | Mirza Ghalib

सीमाब-पुश्त गर्मी-ए-आईना दे है हम | Mirza Ghalib सीमाब-पुश्त गर्मी-ए-आईना दे है हम हैराँ किए हुए हैं दिल-ए-बे-क़रार के आग़ोश-ए-गुल कुशूदा बरा-ए-विदा है ऐ अंदलीब चल कि चले दिन बहार…

सफ़ा-ए-हैरत-ए-आईना है सामान-ए-ज़ंग आख़िर | Mirza Ghalib

सफ़ा-ए-हैरत-ए-आईना है सामान-ए-ज़ंग आख़िर | Mirza Ghalib सफ़ा-ए-हैरत-ए-आईना है सामान-ए-ज़ंग आख़िर तग़य्युर आब-ए-बर-जा-मांदा का पाता है रंग आख़िर न की सामान-ए-ऐश-ओ-जाह ने तदबीर वहशत की हुआ जाम-ए-ज़मुर्रद भी मुझे दाग़-ए-पलंग…

रौंदी हुई है कौकबा-ए-शहरयार की | मिर्ज़ा ग़ालिब

रौंदी हुई है कौकबा-ए-शहरयार की | मिर्ज़ा ग़ालिब रौंदी हुई है कौकबा-ए-शहरयार की इतराए क्यूँ न ख़ाक सर-ए-रहगुज़ार की जब उस के देखने के लिए आएँ बादशाह लोगों में क्यूँ…

काबे में जा रहा तो न दो ता’ना क्या कहें | मिर्ज़ा ग़ालिब

काबे में जा रहा तो न दो ता’ना क्या कहें | मिर्ज़ा ग़ालिब काबे में जा रहा तो न दो ता’ना क्या कहें भूला हूँ हक़्क़-ए-सोहबत-ए-अहल-ए-कुनिश्त को ताअ’त में ता…

फिर इस अंदाज़ से बहार आई | मिर्ज़ा ग़ालिब

फिर इस अंदाज़ से बहार आई | मिर्ज़ा ग़ालिब फिर इस अंदाज़ से बहार आई कि हुए मेहर-ओ-मह तमाशाई देखो ऐ साकिनान-ए-ख़ित्ता-ए-ख़ाक इस को कहते हैं आलम-आराई कि ज़मीं हो…

नहीं कि मुझ को क़यामत का ए’तिक़ाद नहीं | मिर्ज़ा ग़ालिब

नहीं कि मुझ को क़यामत का ए’तिक़ाद नहीं | मिर्ज़ा ग़ालिब नहीं कि मुझ को क़यामत का ए’तिक़ाद नहीं शब-ए-फ़िराक़ से रोज़-ए-जज़ा ज़ियाद नहीं कोई कहे कि शब-ए-मह में क्या…