जाने ऐसी भी क्या तिश्नगी थी उनसे…..
जाने ऐसी भी क्या तिश्नगी थी उनसेआखरी सांस थी और तसव्वुर उनके साथ का।
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Collection of Real Shayari in Sad Category
जाने ऐसी भी क्या तिश्नगी थी उनसेआखरी सांस थी और तसव्वुर उनके साथ का।
दूर जाने का उसे क्या गम होगापास होकर भी वो कौन सा खुश था।
अनजान बने हो तो गुज़र क्यों नहीं जातेजान ही गए हो तो ठहर जाओ ना ।
उलझा रहने दो मुझेयुहीं तुम्हारे दरमियानसुलझ गए हम अगर तोदूरियाँ दास्तां बुनेंगी।
तेरी अदाकारीमेरी ईमानदारीदोस्तों की नकली यारीमेर परवाह करने की बिमारीये झूटी रिश्तेदारीकई चेहरे लिए घूमने की कलाकारीयह है बनवटी दुनियादारी
वो वक़्त आने पर सब वादों से मुकर गया ये मेरा ज़र्फ़ था की मैं ख़ामोशी से बिखर गया………
जब उनको सोचता हूँ तो खुद को भूल जाता हूँ कभी हाल इश्क़ मैं उनका भी ऐसा था।
न कोई मुलाकात न किसी वादे का तकाज़ा तुमसेहम तो बस एक झूटी तस्सल्ली के तलबगार थे।
महोब्बत न सही मेरी खुशफहमी ही रहने दो की दिल में जीने की ख्वाहिश ज़रा सी और बाकी है I
कोई मुलाक़ात न किसी वादे का तकाज़ा तुमसेहम तो बस एक झूठी तस्सल्ली के तलबग़ार थे I