दुश्मन भी हमारे मुरीद है शायद

दुश्मन भी हमारे मुरीद है शायद
वक़्त वे वक़्त मेरा नाम लिया करते है
मेरी गली से निकलते है खंजर छुपा के
रूबरू होने पर सलाम किया करते है

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