
नहीं सिर्फ जश्न मनाना
नहीं सिर्फ झंडे लहराना
यही काफी नहीं है वतन पर
यादो को नहीं भूलना
जो कुर्बान हुए
उनके लफ्जो को बढ़ाना
खुद के लिए नहीं
जिंदगी वतन के लिए लुटाना
नहीं सिर्फ जश्न मनाना
नहीं सिर्फ झंडे लहराना
यही काफी नहीं है वतन पर
यादो को नहीं भूलना
जो कुर्बान हुए
उनके लफ्जो को बढ़ाना
खुद के लिए नहीं
जिंदगी वतन के लिए लुटाना