कुछ भी नहीं है आज कहने को चन्द लब्जों के सिवा
ना आँखों में है जज्बात चन्द आँखों के सिवा
कदर तोड़ दिया उसने कि खुद को जोड़ पाना मुश्किल है
नहीं रहा वाकी कुछ भी चन्द सांसो के सिवा

कुछ भी नहीं है आज कहने को चन्द लब्जों के सिवा
ना आँखों में है जज्बात चन्द आँखों के सिवा
कदर तोड़ दिया उसने कि खुद को जोड़ पाना मुश्किल है
नहीं रहा वाकी कुछ भी चन्द सांसो के सिवा