आह को चाहिये इक उम्र असर होने तक
कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक

आह को चाहिये इक उम्र असर होने तककौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक दाम हर मौज में है हलका-ए-सदकामे-नहंगदेखें क्या गुज़रे है कतरे पे गुहर होने तक…

अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला
हमने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला

अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वालाहमने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला उसको रुख़सत तो किया था मुझे मालूम न थासारा घर ले गया घर छोड़ के जाने…