शाम सूरज को ढलना सिखाती है

शाम सूरज को ढलना सिखाती है
शमां परवाने को जलना
गिरने पर चोट तो जरूर लगती है
लेकिन ठोकर ही इंसान को चलना सिखाती है |

1 thought on “शाम सूरज को ढलना सिखाती है”

Leave a Comment

%d bloggers like this: