आंसुओ की तरह बिछड़ जाते है लोग
कब साथ निभाते है लोग आंसुओ की तरह बिछड़ जाते है लोग वो जमाना और था जब रोते थे गैरो के लिए लोग अब तो अपनों को ही रुलाकर मुस्कराते…
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
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कब साथ निभाते है लोग आंसुओ की तरह बिछड़ जाते है लोग वो जमाना और था जब रोते थे गैरो के लिए लोग अब तो अपनों को ही रुलाकर मुस्कराते…
बढ़ रहा है दर्द फिर उसे भुला देने के बाद याद उसकी और आयी उसका खत जला देने के बाद
एक नदिया है मज़बूरी की उस पार हो तुम इस पार है हम अब पार उतरना है मुश्किल मुझे बेवस बेकल रहने दो तुम भूल गए क्या गिला करे तुम…
चिराग से ना पूछो वाकी तेल कितना है सांसो से ना पूछो वाकी खेल कितना है पूछो उस कफ़न में लिपटे मुर्दे से जिंदगी में गम और कफ़न में चैन…
रह न पाओगे भुलाकर देखलो यकीं ना आये तो आजमा कर देखलो हर जगह महसूस होगी मेरी कमी अपनी महफ़िल को कितना भी सजा कर देखलो
तेरी धड़कन ही जिंदगी का किस्सा है मेरा तू जिंदगी का अहम् हिस्सा है मेरा मेरी मोहब्बत तुझसे सिर्फ लफ्जो की नहीं है तेरी रूह से रूह तक का रिश्ता…
उनका भी हम कभी दीदार करते है उनसे भी कभी हम प्यार करते है क्या करे जो उनको हमारी जरुरत ना थी पर फिर भी हम उनका इन्तजार करते है
चमन से बिछड़ा हुआ एक गुलाब हूँ में मै खुद ही अपनी तबाही का जवाब हूँ यूँ निगाहें ना फेर मुझसे ऐ मेरे महबूब मैं तेरी चाहतो में ही हुआ…
किसी की यादों को रोक पाना मुश्किल है रोते हुए दिल को मनाना मुश्किल है ये दिल अपनों को कितना याद करता है ये कुछ लफ्जो में बयां करना मुश्किल…
कहाँ जायँगे जिंदगी का कारवां लेकर युहीं रह जायँगे एक तनहा जहां लेकर चाँद तारे जब ओझल हो चुके है नजरो से क्या करंगे हम अब सारा आसमां लेकर